4 Indian Women Who Changed Face Of Indian Education Sector Tribute On Women’s Day


Indian Women Who Contributed To Education Sector: इंडिया में बहुत सी ऐसी महिलाएं रही हैं और हैं जिन्होंने आर्ट, लिटरेचर, साइंस आदि की फील्ड में बेहतरीन सेवाएं दीं और एजुकेशन सेक्टर को अपने तरीके से समृद्ध बनाया. इनकी मदद से बहुत सी पीढ़ियों की महिलाओं को मार्गदर्शन मिला और शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर मिला. इस सूची में सावित्रीबाई फुले, विमला कौल समेत और कौन की महिलाओं का नाम है, आइये जानते हैं.

सावित्रीबाई फुले

भारत की पहली महिला टीचर के तौर पर सावित्रीबाई फुले का योगदान शिक्षा के क्षेत्र में अहम रहा है. महाराष्ट्र में एक दलित परिवार में जन्मी सावित्रीबाई फुले पहली लेडी टीचर होने के साथ ही, समाज सुधारक और मराठी कवियत्री भी थी. इन्हें लड़कियों को पढ़ाने के कारण समाज का बहुत विरोध झेलना पड़ा. कई बार तो समाज के ठेकेदारों ने इन पर पत्थर भी बरसाये.

18वीं सदी में जब महिलाओं का स्कूल जाना दुर्लभ था ऐसे में उन्होंने महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाया. सावित्रीबाई फुले ने अपने पति समाजसेवी महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर साल 1848 में लड़िकियों के लिए स्कूल बनाया. 10 मार्च 1897 में उनकी डेथ हो गई.

विमला कौल

विमला कौल ने उस उम्र में करिश्मा कर दिखाया जब लोगों को लगता है कि जीवन की सांझ आ गई है अब बस दिन पूरे होने का इंतजार करना है. 81 साल की उम्र में विमला कौल ने गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी. उनके स्कूल का नाम गुलदस्ता है जहां बच्चों को फ्री में पढ़ाया जाता है और योग और डांस भी सिखाय जाता है. इस स्कूल में दिल्ली के गरीब बच्चे पढ़ने आते हैं. विमला कौल शिक्षिका के पद से रिटायर हुईं पर उन्होंने शिक्षा देने का काम कभी बंद नहीं किया. स्कूल चलाने में शुरू में बहुत दिक्कतें हुईं लेकिन ये सिलसिला नहीं रुका.

चंद्रप्रभा सैकियानी

चंद्रप्रभा सैकियानी का जन्म असम में हुआ था. उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए जो योगदान दिया उसके अलावा उनका नाम असम से पर्दा प्रथा हटाने के लिए भी प्रसिद्ध है. 13 साल की उम्र में चंद्रप्रभा सैकियानी ने अपने गांव की लड़कियों के लिए स्कूल खोला था और उसी उम्र में टीचर बन गईं. उन दिनों लड़कियों के साथ शिक्षा के स्तर पर भेदभाव होता था इसलिए उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई. बड़े होकर चंद्रप्रभा समाज सेविका बन गईं.

असीमा चटर्जी

असीमा चटर्जी विज्ञान में डॉक्टरेट हासिल करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक थी. वे एक सफल ऑर्गेनिक केमिस्ट थी और 20वीं सदी में जब महिलाएं साइंस की फील्ड में नहीं थी उस समय उन्होंने अपना परचम फहराया. बंगाल में जन्मी असीमा चटर्जी पहली महिला थी जिन्हें  इंडियन साइंस कांग्रेस की जनरल प्रेसिडेंट के तौर पर चुना गया था.

1940 के दशक में, उन्होंने कलकत्ता के लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज में रसायन विज्ञान विषय के प्रमुख के रूप में काम किया. असीमा चटर्जी ने प्राकृतिक उत्पादों के रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अपने अमूल्य योगदान जैसे बहुत से शोध कार्यों में मदद की है. 

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